फोटो में अभी भी उनकी स्थिर निगाहें हैं-
*धर्मराज*, जिनके हाथों ने छायाओं के बीच आशा का निर्माण किया,
जिन्होंने दुख के बोझ को अनुग्रह में बदल दिया,
उनकी आवाज़ रोने वाली आत्माओं के लिए दिशासूचक है।
यहाँ, फ़्रेम में, उनकी हँसी वर्षों को चुनौती देती है,
आँखें उद्देश्य से जगमगाती हैं, जैसे लालटेन की चमक।
आप उन कठोर हाथों को देखते हैं जो पुराने आँसुओं को सुखाते हैं,
वह आदमी जिसने वहाँ पेड़ लगाए जहाँ कोई नहीं उग सकता था।
बाहर का ओक अब थके हुए पंखों को आश्रय देता है,
इसकी शाखाएँ उसके द्वारा गाए जाने वाले भजन गुनगुनाती हैं।
मोमबत्ती टपकती है, लेकिन फिर भी उसकी जिद्दी लौ चिपकी रहती है-
यह इस बात का प्रमाण है कि प्रेम सबसे कठिन काम कैसे करता है।
आप उनके नाम को छूते हैं जहाँ से प्रकाश बहता है-
*सामाजिक कार्यकर्ता। पिता। सूर्य जो कभी दोपहर को नहीं जानता था।*
इस संस्करण में सेवा के प्रति उनके समर्पण को कल्पना में पिरोया गया है (आश्रय के रूप में ओक, लालटेन जैसी आंखें, हाथ जिन्होंने "ऐसे पेड़ लगाए जहां कोई नहीं उग सकता था")। अंतिम पंक्ति उनके स्थायी प्रकाश का सम्मान करती बुद्ध, संत रविदास और डॉ. बी.आर. अंबेडकर मंदिर, jinake Karkamlo dwara banwaya gaya.village-Bhartjipur,PO-Taka,Dusty-Ballia,U.P.,221709,INDIA. 🌳
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