अभी तक, 19 मार्च, 2025 तक, ऐसा कोई ठोस सबूत या आधिकारिक घोषणा नहीं है जो यह पुष्टि करे कि मायावती (बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को समर्थन कर रही है ताकि वह राष्ट्रपति बन जाए। ये सवाल राजनीतिक अटकलों से जुड़ा है, और इसके जवाब के लिए हमें वर्तमान राजनीतिक संदर्भ और मायावती के पिछले कार्यों को देखना पड़ेगा।
मायावती का बीजेपी के साथ इतिहास जटिल हो गया है। 1995, 1997 और 2002 में भाजपा के साथ गठबंधन सरकारें बनीं जब वो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। लेकिन हाल के वर्षों में, खास कर 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद, उन्हें बीजेपी के साथ गठबंधन की बात बार-बार नकारा है। 2024 के चुनाव में बीएसपी ने अकेला चुनाव लड़ा था और एक भी सीट नहीं जीती, जबकी उनका वोट शेयर 9.39% था उत्तर प्रदेश में। इसके बाद मायावती ने मुस्लिम समुदाय को दोषी ठहराया, अपनी हार के लिए कहा कि वो आगे से टिकट देने में सतर्क रहेंगी- ये रुख बीजेपी की विचारधारा से अलग है, जो मुस्लिम आरक्षण के खिलाफ है।
राष्ट्रपति चुनाव का सीन अलग है. अगला राष्ट्रपति चुनाव 2027 में होगा, जब द्रौपदी मुर्मू का कार्यकाल ख़त्म होगा। बीजेपी, अपने एनडीए सहयोगियों के साथ, वर्तमान में मजबूत स्थिति में है राष्ट्रपति चुनाव के लिए, जैसा कि 2022 में द्रौपदी मुर्मू के चुनाव से पता चलता है, जब मायावती ने एनडीए उम्मीदवार को समर्थन दिया था। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वो खुद राष्ट्रपति पद के लिए बीजेपी के साथ डील कर रही है। 2022 में उनका समर्थन सामरिक कदम था, शायद सपा को जवाब देना चाहिए, न कि कोई दीर्घकालिक समझौता।
सोशल मीडिया पर एक्स पोस्ट और राजनीतिक गपशप में ऐसी अटकलें चलती रहती हैं कि मायावती भाजपा की "बी-टीम" हैं, लेकिन ये निर्णायक नहीं है। 2023 में एक एक्स पोस्ट में बीजेपी के साथ गठजोड़ की अफवाहों को खारिज किया गया और अपनी पार्टी के एकल रुख पर फोकस किया गया। अगर वो राष्ट्रपति बनने के लिए बीजेपी को समर्थन कर रही होती, तो उसके लिए अभी कोई स्पष्ट राजनीतिक पैंतरेबाज़ी या बयान नहीं दिखता।
तो, फ़िलहाल के आंकड़ों के आधार पर, ये कहना मुश्किल है कि मायावती बीजेपी को समर्थन कर रही हैं राष्ट्रपति बनने के लिए। ये एक संभावना है भविष्य में, पर अभी के लिए ये सिर्फ अटकलें हैं, कोई पक्का सबूत नहीं। राजनीतिक गतिशीलता बदलती रहती है, तो आगे 2027 तक कुछ भी हो सकता है—लेकिन अभी, नहीं।
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